नमस्कार दोस्तों लाइट ऑफ नेशन पत्रिका में आप सभी का स्वागत है जैसा कि आप हर बार पढ़ते हैं मैं किसी न किसी खास व्यक्तित्व के स्वामी को आपसे रूबरू कराती हूँ आज मैं आपके सामने अखनूर लेकर आई हूं वह है - डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस मिस्टर अजय शर्मा। उनके यहां तक पहुंचने की कहानी और उनके लाइफस्टाइल के बारे में भी आपको बताऊंगी। यह अपने नाम से ही नहीं अपने काम से भी जाने और पहचाने जाते हैं और सबसे बड़ी बात इनकी पढ़ाई कहां से हुई उस पर भी एक रोशनी हम डालना चाहेंगे क्योंकि कहीं ना कहीं जब हम किसी का साक्षात्कार लेते हैं कहीं न कहीं हमारा हक बनता है कि हम उनके बारे में अपने पाठकों को ज्यादा से ज्यादा बताएं और उनकी जिंदगी से जुड़ी हर एक बात सामने लाएं उन्होंने बचपन से अब तक के सफर में क्या-क्या किया तो आइए चलते हैंअजय शर्मा जी से रूबरू कराते हैं।
अजय शर्मा जी सबसे पहले आपका लाइट ऑफ नेशन पत्रिका में बहुत-बहुत स्वागत हैआपकी शुरूआती पढ़ाई कहां से हुई यह जानकारी हमारे पाठकों को दें। ईश्वर की दया से मेरी जीवन यात्रा बहुत ही सिंपल रही है और मेरी फैमिली बहुत सिंपल है जो मेरी पढ़ाई हुई वह सरकारी स्कूल से हुई और वह भी सुंदरबानी 8 क्लास के बाद मिडिल स्कूल से कई और ट्वेल्थ मैंने हाईस्कूल सुंदरबानी से की उसके बाद साइंस कॉलेज में एडमिशन लिया और मेरा यह मानना है कि यदि आपके अंदर मेहनत करने का जज्बा है तो उसको कोई सा भी हो वह मायने नहीं रखता पढ़े और मेहनत करें और आगे बढ़े।
हमारे पाठकों को बताएं आपको रुचि थी पुलिस में आने की या फिर फैमिली चाहती थी कि आप पुलिस लाइन में आए?आप पुलिस लाइन में आए?
जब मैं 12वीं पास करके कॉलेज में आया उस समय एक एग्जाम होता था यह बात 1998 की है और उस एग्जाम का नाम कंबाइन कंपटीशन एग्जाम होता था निकला था, मैंने पास किया और मेरा सिलेक्शन हो गया और मेरी मचेंट नेवी मेरा सिलेक्शन भी हो गया।
मेरा अगला सवाल यह है कि जब आपने यह यूनिफॉर्म धारण की तब आपको कैसा लगा था?
यूनिफॉर्म धारण की तब आपको कैसा लगा था? बहुत ही अच्छा लगा था पहले तो मैंने अपने आप को खुशनसीब समझा और भगवान का शुक्रिया अदा किया वापस यूनिफॉर्म मिली और मौका मिला अपने लोगों के लिए काम करने का फिर हाथ रहा मेरे ऊपर मेरे भगवान का और दिल को एक तसल्ली रही कि सब अच्छा हो रहा है और अच्छा होगा भी।
मेरा आपको ट्रैफिक पुलिस को लेकर एक सवाल है कि लोग पुलिस को हमेशा दोष देते रहते हैं पुलिस अपना काम अच्छा नहीं करती है, हम चाहते हैं कि आप कुछ ऐसी बातें बताएं जनता को पता लगे कि आप लोग कैसे ट्रैफिक कम कर सकते हैं?
मैडम मैं एक चीज जानना चाहता हूं कि ट्रेफिक मैनेजमेंट है वह सही है कहने का तात्पर्य है कि सड़के आज भी वही हैं पहले भी गाड़ियां उसी सड़क पर चलती थी लेकिन तब गाड़ियां कम थी लेकिन आज जब हजार गाड़ियों सड़क पर चल रही हैं तो ट्रैफिक होगा ही हम ज्यादा घर से निकलने लगे हैं हमारी ही वजह से ट्रैफिक जाम होता है हम अखनूर की बात ही लेते हैं यह एक छोटा सट्टा उन्हें बहुत ही कंपैक्ट एरिया है अगर हमें सब्जी ही लेनी है जाहिर है हम पैदल नहीं निकलेंगे टू व्हीलर से ही जाएंगे और आजकल टू व्हीलर फोर व्हीलर सबके पास है कोई भी नहीं सोचता कि हम थोड़ा सा पैदल चले लेकिन नहीं अगर हम किसी के घर जाते हैं पार्किंग में कार पार्क कर दें लेकिन हम सोचते नहीं है।हमारी वजह से ट्रैफिक कम होता है तो इसमें पर ही क्या है ज्यादा कुछ फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन सोच को अगर बदले तो धीरे-धीरे बदलाव आएगा धीरे-धीरे एक-एक करके अगर हम अपनी सोच बदलेंगे कुछ हल निकाला जा सकता है हम कार पार्किंग में सिटीज में है। लगाने प्रॉपर चाहिए और थोड़ा पैदल चले हैं तो भी ट्रैफिक में काफी सुधार होगा।
| ड्रग को लेकर हमारी युवा जनरेशन नशे की तरफ जा रही है, जब बच्चों में परिवर्तन आते हैंपेरेंट्स को ध्यान देना चाहिए कहीं ना कहीं यह सब वो नहीं कर पा रहे हैं इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
मैडम आपने बहुत ही अच्छा सवाल किया है हमारे समाज में बड़ों को बहुत महत्व और इज्जत दी जाती हैऐसा नहीं है हमारी सोसाइटी में कर रही है। कहीं ना कहीं आजकल किसी की कोई सुनकर राजी नहीं है। पहले ध्यान देते थे कि अपने बच्चे थे लेकिन अब पेरेंट्स ने अपनी लाइफ बहुत बिजी कर दी है। बच्चों को वक्त देना चाहिए, बच्चों पर ध्यान देना चाहिए, उनको प्यार देना चाहिए उनको सोशियोलॉजिकल स्ट्रांग बनाना चाहिए साथ ही कनेक्ट भी रखना चाहिए ऐसा करेंगे तो बच्चे आप से डिस्कनेक्ट नहीं होंगे कहीं ना कहीं इसलिए बच्चों को टाइम चेंजिंग देना चाहिए। वह कब स्कूल जा रहे हैं कब आ रहे हैं उनका व्यापार में क्या परिवर्तन है आपसे पॉकेट मनी ले रहे हैं। उसका क्या कर रहे हैं उनके खाने पीने के तरीके में क्या क्या परिवर्तन आया है उनके सोने में उनके जागने में उनके नंबर कमा रहे हैं उसका क्या राज है उनका फ्रेंड सर्कल कैसा है कितना समय वह अपने दोस्तों को दे रहे हैं और कितना समय वह फोन पर बता रहे हैं कितना समय वह लैपटॉप कंप्यूटर पर दे रहे हैं। अगर इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखा जाएगा तो आपका बच्चा आपसे कनेक्टेड रहेगा।
इलेक्शन का दौर कैसा रहा अखनूर में?
= 5 मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि 89 पर्सेट पोलिंग हुई हैहमारे अखनूर के अंदर जो बहुत ही हाई रही है, स्टेट के लिए यहां से इतनी हाई पॉलिंग होगी हमने कभी सोचा भी नहीं था। हमारा डिस्ट्रिक्ट पुलिस की तरफ से 2400 जवान तैनात थे, जो शायद आपको पता भी नहीं होगा। 398 पोलिंग थे जिसमें हमने 2400 जवान तैनात किए, यह मेरे लिए गर्व की बात है89 फीसदी लोग पोलिंग पर आए, बिना किसी खौफ के, यह देखकर सच में अंदर से तसल्ली हुई, उसके बाद मैंने बात की डिप्टी कमिश्नर और एसएसपी जम्मू से की अखनूर में सबसे ज्यादा पोलिंग हुई वह भी बिना किसी डर और गफलत के। सब अच्छे से हो गया इसमें मैं समझता हूं कि हमारा पब्लिक इंस्ट्रक्शन काफी अच्छा रहा तो काफी अच्छा लगा।
हमारे पाठकों को खासकर युवाओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
मैं यही कहना चाहूंगा कि युवा हमेशा नशे से दूर रहे पॉजिटिव सोचे अपनी लाइफ में बिजी रहे गलत लोगों से दूर रहो और मैं विश करता हूं कि आपका भविष्य हमेशा झूल रहे और हमेशा में पब्लिक के लिए समर्पित हूं यदि आपको कोई समस्या है तो सीधे मेरे पास आओ मैं पूरी कोशिश करूंगा कि आपकी मदद करूं और उस समस्या को जड़ से समाप्त करू।