अनंत कुमार एक भारतीय राजनीतिक नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, व्यापारी और एक सफल उद्योगपति हैं। यह बेंगलुरु से निर्वाचित भारत की 14वीं लोकसभा के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्य हैं। इनका जन्म 22 जुलाई 1959 को बेंगलुरु (कर्नाटक) में एच. एन. नारायण शास्त्री और गिरिजा एन. शास्त्री के यहाँ हुआ थाइन्होंने 15 फरवरी 1989 में श्रीमती तेजस्विनी से शादी की और इनकी दो बेटियाँ हैं। इन्होंने के.एस. आट्र्स कॉलेज से कला वर्ग में स्नातक किया और एल.एल.बी. की डिग्री जे.एस.एस. लॉ कालेज, कर्नाटक विश्वविद्यालय से प्राप्त की। विश्वविद्यालय से प्राप्त की। अनंत कुमार कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के एक प्रभावशाली नेता हैं। इन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से प्रभावित हुए और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ए.बी.वी.पी.) एक छात्र संगठन का हिस्सा बने। वर्ष 1975-77 के दौरान, ये भारत में आपातकाल नियमों के विरुद्ध जे.पी. आंदोलन में भाग लेने के कारण लगभग 40 दिनों तक में जेल में रहे थे। मेंउम्र में, इनको वर्ष 1982 से वर्ष के ए.बी.वी.पी. के सचिव के रूप जेल में रहे थे। बहुत ही कम उम्र में, इनको वर्ष 1982 से वर्ष 1985 तक कर्नाटक के ए.बी.वी.पी. के सचिव के रूप में चुना गया और फिर वर्ष 1985 से वर्ष 1987 तक राष्ट्रीय संगठन के सचिव नियुक्त किए गए। राष्ट्रीय अनंत कुमार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ए.बी.वी.पी.) से स्नातक करने के बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। वर्ष 1987 से वर्ष 1988 तक अनंत कुमार को कर्नाटक के भाजपा, सचिव के रूप में नियुक्त किया गया थाफिर इसके बाद वह वर्ष 1988 से वर्ष 1995 तक भाजपा के महासचिव और वर्ष 1995 से वर्ष 1998 के बीच भाजपा के राष्ट्रीय सचिव बनने में सफल हुए। सफल हुए। अनंत कुमार 11वीं, 12वीं, 13वीं और 14वीं लोकसभा चुनाव में लगातार चार बार लोकसभा चुनावों के लिए चुने गए। अनंत कुमार कर्नाटक में राम- जन्मभूमि के लिए अपनी आवाज उठाने और उसके हक में लड़ने वाले विशिष्ट नेताओं में से एक थे। वर्ष 1998 में, अनंत कुमार को अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में नागरिक उड्यन मंत्री के रूप में शामिल किया गया था। अटल बिहारी बाजपेयी के मंत्रिमंडल में सबसे कम उम्र के मंत्री बने अनंत कुमार ने कुशलतापूर्वक, पर्यटन, खेल, युवा मामलों और संस्कृति, शहरी विकास एवं गरीबी उन्मूलन जैसे कई मंत्रालयों को संभालाअनंत कुमार ने अपने कार्यकाल के दौरान, कई नए अभिनव दृष्टिकोण, राजनैतिक सोच और कई योजनाओं की शुरूआत की तथा विभिन्न विकास परियोजनाओं के माध्यम से लाखों लोगों के जीवन में सुधार किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दृढ़ विचारक, संगठन के मजबूत स्तंभ, बेंगलुरु के 'सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले सांसद और संयुक्त राष्ट्र में कन्नड़ में बोलने वाले पहले व्यक्ति, ये कुछ ऐसी विशिष्टताएं हैं जो केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार के व्यक्तित्व से परिचय कराती हैं। अपनी राजनीतिक निपुणता के लिए विख्यात कुमार छह बार सांसद रहे। वह राजनीति की जबर्दस्त समझ रखते थे और बेहद मिलनसार थे। वह भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के हमेशा करीब रहे-चाहे वह अटल बिहारी वाजपेयी या लालकृष्ण आडवाणी का दौर रहा हो या फिर अभी नरेंद्र मोदी के समय में। कुमार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा समेत उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं जिन्हें कर्नाटक में भाजपा के विकास का श्रेय दिया जा सकता है। भाजपा के विकास का श्रेय दिया जा सकता है। कुमार ने अपना संसदीय करियर 1996 में शुरू किया जब वह दक्षिण बेंगलुरु से लोकसभा में चुने गए। यह निर्वाचन क्षेत्र उनके निधन तक उनका मजबूत गढ़ बना रहा जहां उन्हें लगातार छह बार जीत मिली। 15 वीं लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने 15 वीं लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विभिन्न संसदीय समितियों में पद संभाले और नरेंद्र मोदी नीत सरकार में बतौर संसदीय कार्य मंत्री और केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री रहे। अपनी राजनीतिक निपुणता के लिए विख्यात कुमार छह बार सांसद रहे केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दृढ़ विचारक, संगठन के मजबूत स्तंभ, बेंगलुरु के 'सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले सांसद और संयुक्त राष्ट्र में कन्नड़ में बोलने वाले पहले व्यक्ति, ये कुछ ऐसी विशिष्टताएं हैं जो उनके विशाल व्यक्तित्व से परिचय कराती हैं। व्यक्तित्व से परिचय कराती हैं। अनंत कुमार भारतीय राजनीति की जबर्दस्त समझ रखते थे और बेहद मिलनसार थे. वह बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के हमेशा करीब रहे - चाहे वह अटल बिहारी अपनी अटल बिहारी अपनी वाजपेयी या लालकृष्ण आडवाणी का दौर रहा हो या खुद फिर अभी नरेंद्र मोदी के समय में। रेलवे 22 जुलाई, 1959 को बेंगलरु में एक मध्यम वर्गीय वाराण परिवार में जन्मे कमार ने अपनी शरूआती शिक्षा अपनी मा गिरिजा एन शास्त्रा व अपनी मां गिरिजा एन शास्त्री के मार्गदर्शन में पूरी की जो खुद भी एक ग्रेजुएट थीं. उनके पिता नारायण शास्त्री रेलवे के कर्मचारी थे. कला एवं कानून में स्नातक अनंत के सार्वजनिक जीवन की शुरूआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहने के कारण हुई. वह एबीवीपी के प्रदेश सचिव और राष्ट्रीय सचिव भी रहे। राष्ट्रीय सचिव भी रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रभावित होने के कारण, वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र विंग के सदस्य थे. इंदिरा गांधी सरकार में लगाए गए आपातकाल के दौरान हजारों छात्र कार्यकताओं के साथ उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. कुमार ने तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा आपातकाल लगाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन किया था और करीब 30 दिनों तक वह जेल में भी रहे। आपातकाल के बाद ही उन्हें एबीवीपी का राज्य सचिव बनाया गया था और साल 1985 में उन्हें एबीवीपी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया. इसके बाद वो बीजेपी में शामिल हुए और उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया. साल 1996 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। कुमार ने अपना संसदीय करियर 1996 में शुरू किया जब वह दक्षिण बेंगलुरु से लोकसभा में चुने गए. यह निर्वाचन क्षेत्र उनके निधन तक उनका मजबूत गढ़ बना रहा जहां उन्हें लगातार छह बार जीत मिली. 15 वीं लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विभिन्न संसदीय समितियों में पद संभाले और नरेंद्र मोदी नीत सरकार में बतौर संसदीय कार्य मंत्री और केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री रहे।
राजनीतिक चतुराई के लिए विख्यात थे अनंत कुमार